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________________ १७८ थवानुं साधन, ( ज्ञान उने आधीन रहेवारूप बे. टीकानो जावार्थ - ( उपरना श्लोकनार्थने मलतोज बे.) हवे गुणवाननुं श्राधीनपणुं, मोहना उबालाने अटकाववानुं साधन बे, एवं आगमना जाणनाराड॑ना श्राचरणी समर्थन करता था कहे . श्री हरिजप्रसूरिकृतान्यष्टकानि । ने क्रियारूप ) गुणोने धारण करनारा - तएवागमज्ञोऽपि, दीक्षादानादिषु ध्रुवम् ॥ क्षमाश्रमणहस्तेने, त्याह सर्वेषु कर्मसु ॥ ५ ॥ - (गुणवाननुंधीनपणुं मोहना उबालाने अटकाव - नारुं बे.) तेथीज आप्तना वचनने जाणनार ( एवो साधु पण ) क के दीक्षा देवा आदिक उद्देश समुद्देष विगेरे, सर्वे कायमां खरेखर सद्गुरुना हाथनोज उपयोग करवो; ( पण स्वतंत्र थने पोताने हाथेज दीक्षा लेवी नहीं; अर्थात् उत्तम गुरुने हा दीक्षा लेवी . ) माटे एवी रीते गुणवानना धिनपणाथीज मोहना उबाखाने कावना जावशुद्धि थाय बे, पण ते शिवाय बीजी रीते यती नथी. टीकानो जावार्थ - ( उपरना श्लोकना श्रर्थने मलतोज बे. ) हवे तेज कहे बे. Jain Educationa International इदं तु यस्य नास्त्येव, स नोपायो पिवर्तते ॥ नावशुद्धेः खपरयो, गुणाद्यज्ञस्य सा कुतः ॥ ७ ॥ अर्थ - उपर कहेलुं गुणवाननुं श्राधीनपणुं जेने नथी, ते माएस जावशुद्धिना उपायमां पण वर्ती शकतो नथी; केमके, - मानाने आत्मा इतर एवा पुजल श्रादिकना गुण दोषो जेणे जाएया नथी, तेने ते जावशुद्धि क्यांथी थाय ? टीकानो जावार्थ- जे प्राणीने उपर कहेलुं गुणवाननुं श्राधी For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003686
Book TitleHaribhadrasuri krutanyashtakani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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