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________________ उप विष मनुष्यनवनी पूर्लनता उपर सातमो चक्रनो दृष्टांत .... । मनुष्यनवनी पूर्बनता उपर बाग्मो कुरमनो दृष्टांत .... मनुष्यजवनी पूर्खनता उपर नवमो धूंसरानो दृष्टांत .... मनुष्यनवनी पूर्लजता उपर दशमो परमाणुनो दृष्टांत .... सजन विषे .... .... .... .... सजनता उपर प्रौपदीनो प्रबंध .... सजनता उपर अंजनानो प्रबंध गुण विषे न्याय विषे. .... अन्याय करी रावणनो त्याग करनार विनीषणनो प्रबंध न्यायधर्म विषे प्रतिज्ञा विषे ..... उपशम विषे .... दमागुण उपर गजसुकमाल मुनिनो प्रबंध त्रिकरण शुधि विषे त्रिकरण शुधि उपर जौपदीनो प्रबंध .... कुल विषे .... .... .... विवेक विषे .... .... .... .... विनय विषे ..... .... .... ...." विनय गुण उपर विक्रम राजानो प्रबंध .... विनय करवा उपर श्रेणिक राजानो प्रबंध .... ... विद्या विषे .... .... .... .... ११५ विद्याथी रीऊववा उपर बाण तथा मयूर पंमितोनो प्रबंध उपकार विषे ..... .... .... .... .... ... उद्यम विषे . .... .... .... .... ११७ उद्यम उपर सुबुद्धि प्रधाननो प्रबंध .... .... .... १९ए . . . . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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