________________
४४
सूक्तमुक्तावली (आश्चर्य) पाम्या अने कहेवा लाग्या के, ए महारा माथानो खरो, जे महारो अनिप्राय एणे जाण्यो. माटे एनी बुछिने पण धन्य बे. दिवस सुधी अनयकुमारे बहु बहु तपास करी पण चोरनो पत्तो लाग्यो नहीं. सातमे दिवसे अजयकुमारे विचार्यु जे चोरे कागल लखी मोकल्यो रे तेथी ते महारी पासे आव्या विना नहीं रहे. एम धारी पोसो करवाना उपकरण लेईने पोसह करवानी शालामां श्राव्या अने त्यां माच पाथरी पोसह जचारी सीफायध्यान करवा बेग. बेसतां पहेला सेवकने कही मुक्युं हतुं के जो कोई पण माणस महारं नाम देतो आवे तो तेने महारी पासे श्राववा देज्यो. रोहिणीयो पण सातमा दिवसनी राह जोई रह्यो हतो. ते दहाडे तेणे उत्तम वस्त्रो परिधान काँ अने अजयकुमारनी पासे जवा नीकल्यो. दरबारमा सघले स्थले तपास को पण अजयकुमारने न दीग तेथी मनमा खेद करवा लाग्यो के, आज ते मने नहीं मले तो में करेली प्रतिज्ञानो जंग थशे, माटे हरेक प्रकारे तेमने खोली काढी मलq तो खरंज ! पड़ी तेणे सेवकने पुब्यु के, प्रधान क्या ? सेवके जणाव्यु के, ए तो पोषधशालामा , आत्मधर्म साधे . रोहिणीयो पोषध शालाए श्रावीने मुजरो करी जुहार आदि कहेवा योग्य विनय साचवी अजयकुमारनी पासे बेगे. अजयकुमार मन साथे चिंतववा लाग्या के श्रा चोर होवो जोईए, कारण के पोताना वचननी प्रतिज्ञा पालवा श्राव्यो होय एम जणाय , ते सिवाय एने अहीं मारी पासे आववानुं विशेष प्रयोजन जणातुंनथी.अगाउ ए घणी वखत दरबारमा आवतो हतो तेथी तेने शाह तरीके उलखता हता माटे कांश पण मुद्दा वगर तेने चोर कही बाली पडवाश्री ए कोई चोर सिक थई शके नहीं, ! तेमज तेनी पेढीयो चिंतववा लाग्या परंतु ते पण बंध बेसती न जणाई का
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org