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________________ ខ្ញុំនុច सूक्तमुक्तावली कामवर्ग वली इंजे गौतमनी नार्याने देखी ( तेना उपर मोह पामी ) तेनी साथे संजोग कर्यो, एम कामे (कुचेष्टाये ) जगतने विषे एवा म्होटा देव जेवाने पण नोलव्या अने रोलव्या एटले नोलवीने रोली नाख्या.४ ॥ नीलमीने देखी विषयनी प्रार्थना करनार महादेवनो प्रबंध ॥ ___ एक वखत महादेव तपश्चर्या करवा माटे वनमां गया हता. तेमना सीलनी परीक्षा करवा सारू तेमनी अर्भागना पारवती नीलमीनो स्वांग पहेरी ते वनमां गई. तेणीने महादेवे दीठी. तेनुं रूप जोई तथा तेना कटाद बाणे अने हाव नावे करी महादेव मोहपासमां पड्या. तेनी पासे विषयनी प्रार्थना करी. नीलमीए कह्यु जे-हे शीवजी ! जो तमे एक हाथ मस्तके अने एक हाथ पवाडे मुकीने नाचो तो हुँ तमारी साथे काम से. चित चलित थया थका महादेवे नीलडीनुं एवं वचन पण मान्य कर्यु. तपश्चर्या तपश्चर्याने ठेकाणे रही. एम कंद महादेव जे. वाने पण जोलवी रोली नाख्या तो बीजा साधारण मनुष्यनो तो तेना आगल शो श्राशरो ? माटे कामने जीतवो ए महा कठिन बे. तेने जीते एज खरो शूरवीर समजवो, थने तेज पोताना आ. स्माने तारी शके . ४ ॥ कंदर्पना उन्माद विषे ॥ मालिनी बंद ॥ नल नृप दवदंती देखि चारित्र चाले, अरहन रदनेमी ते तपस्या विटाले ॥ चरम जिन मुनी जे चिलणारूप मोहे, मयण रस व्यथाना एद उन्माद सोदे ॥५॥ नावार्थः-चारित्र लीधा पली नल राजानुं चित्त दमयंती साधीने देखी चलायमान थयु, श्रीनेमीनाथना लाई रथनेमी काउ सग्ग ध्याने रहेला ते राजीमतीनुं वस्त्र रहित अंग जोश्ने ध्या Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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