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नाषान्तर सहित.
२४५ जयत्रांत थई उठीने सामो श्राव्यो, अने प्रणाम करी कर्वा के, श्राप, श्रागमन केम थयुं ले ? मारा योग्य जे कांई काम काज होय ते फरमावो. हुं ते शीरने जोरे ( शीर साटे) करीश. तापसे कह्यु के, तहारे सात पुत्री के तेमांथी एक मने परणाव, नहींतर बालीने जस्म करीश. ए वचन सांजली राजा बीहीन्यो, जे रखे ए तापस कांई करे ! अर्थात् राजाने तापसनो घणो नय लाग्यो तेथी तेणे कयु के, स्वामी ! मदारी सात पुत्रीउमाथी तमने जे चाहे, तेने तमे सुखे वरो. एवं सांजलीने ज्यां राजकन्या हती त्यां ते गयो. तेनुं मलीन शरीर देखीने उ कन्याउँ नाशी गई. पण एक न्हानी धूलमां रमती हती ते तेमज रही. एटले तापसे तेने एक बीजोरु थापवा पोतानो हस्त तेनी सामेलं. बाव्यो, तेथी ते लेवा माटे बालिका, के जेनुं नाम रेणुका हती तेणीए पोतानो हाथ सामो कर्यो. अर्थात् हाथ धों. तापस तरत ते कन्याने उपामी राजा पासे लाव्यो, अने कह्यु के, श्रा कन्या मने चाहे . राजाए ते कन्या तापसने परणावी. करमोचन वेलाए घणुं धन धान्य ढोर विगेरे राजाए आप्युं ते सघj सेक्ने राजकन्या सहित तापस वनमा ज्यां पोतानो श्राश्रम हतो त्यां आव्यो. अनुक्रमे जमदग्नि तापसने त्यां रहेतां रेणुका युवावस्था पामी. एक वखत तेणीए तापस (पोताना पति) ने कह्यु के, स्वामी ! बे चरु मंत्री श्रापो. तापसे पुज्यु के, बे चरुने शुं करशो ? रेणुकाए जणाव्युं के, एक महारी बहेनने थापीश ने एक हुं खाश. तापसे पुब्युं के, ए तहारी बहेन क्यां बे ? रेणुकाए जणाव्युं जे-हस्तीनागपुरमां अनंतवीर्य राजाने घेर , तेने माटे मंत्री श्रापो. पली तापसे एक ब्राह्मपनो श्रने एक क्षत्रीनो, एम बे चरु मंत्री थाप्या. रेणुकाए एक चरु पोतानी बहेनने मोकल्यो अने एक पोते खाधो. श्र
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