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(३७) परें किया, अधिकाधिक उबरंग ॥४॥ एहवे र हेतां अनुक्रमें, गर्नतिथि थ जाम ॥ सुंदर नारी एं प्रवर, पुत्री प्रसवी ताम ॥५॥
॥ ढाल बारमी॥ मोतीयारां हे कुमख मखां ॥ए देशी ॥ अथ वा घरे श्रावोजी आंबो मोरीयो ॥ ए देशी ॥ सह देवने दीधी वधामणी, घरें प्रसवीजी पुत्री रतन्न ॥ सही हूवां ए रंग वधामणां, तव हरख्योजी शाह शिरोमणि, अति पुलकित ह तन्न ॥ स० ॥१॥ मणि सोनुं रु' सामटुं, तस दासीने कीध पसाय ॥ स॥ कस्यां उरण जाचक लोकने,जेम श्रातम शक तें देवाय ॥ स ॥२॥ कस्यो उत्सव पुत्रीनो अनि नवो, जेम अंगज आवे कराय ॥ स० ॥ वली घर घर गुडी उबले, घर बांगणे गीत गवाय ॥ स ॥ ३॥ पुर्वानां तोरण बांधीयां, वीच सुरतरुदल लहकंत्र ॥ स ॥ कुंकुमना करतल दिधला, जला फूल फगर मदकंत ॥स॥॥ मणि मोतीनां हो टोमें फूंबखां, गोखें चंदन जरीयां माट ॥ स ॥ नेरी चुंगल तव हडहडे, पुडी गुंजाला गुंजे थाट ॥ स० ॥ ॥५॥ जन्ममहोत्सव पुत्रीतणो, सहदेवें कीधो वि
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