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________________ (३६) ने कहो रे ॥ १२॥ पैसो खरचे थाशे रे तो होश पू रशुं रे, बीजुं गुणवंती बल नहिं दूरशुं रे ॥ तेणे एम निसूणी पीयुनी वाणी, बोली सुंदरी हो जोडि पा णि ॥ नाहलीया एणे तीरे रे एक पूर वासीये रे ॥ १३ ॥ जंचा ऊंचा रूडा रे महोल बनावीये रे, र मवा अहोनिशि श्ण तटें श्रावीये रे ॥ एवी श्छा मु ऊ मनमांहि,पूरो पीयुडा हो सोत्साहि ॥ प्रीतमीए तिण वेला रे, आरंत पादस्योरे॥१४॥ केटला दिनमा तेणे रे नयर वसावीयु रे, रुडा रुडा लोकने वास वसावीयु रे ॥ एतो कही सरस अग्यारमी ढा ल, मोहनविजयें हो सुविशाल ॥ सरसाली अति मीठडी रे, आगल वातडी रे ॥ १५ ॥ सर्व गाथा. ॥दोहा॥ __ वस्युं नर्मदापुर नढुं, नर्मदा तटने तीर ॥ उ ज्ज्वल जिनमंदिर कस्यां, जिम कीरा ब्धि दंभीर ॥ २॥ जिन मूर्तिनी स्थापना, कीधी लाज निमित्त ॥ नाव सहित दंपती करे, नवली पूजा नित्त ॥२॥ काशमीरज चंदन कुसुम, धूप दीप उपचार ॥ न क्ति विशेषे खारथ करे, ए श्रावक आचार ॥३॥ एम दोहद पूरण कस्या, नारीना नव रंग ॥ सहदेवें सू Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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