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(२०) मिनी, जोगवे जोगप्रकाश ॥ दो गुंदक सुरनी परें, विलसे लमि विलास ॥५॥
॥ ढाल नवमी॥ गढडामांहे फूले सही हाथणी ॥ ए देशी ॥ आचार घरना सा तव देखीने, मनडामांशोचे वारं वार ॥ माहरे प्रीतमीए नेसहि तो कैतव केलव्यु, हूंतो श्रावक केरी बालिका, एहोनो तो महेश्वर श्रा चार ॥ मा० ॥१॥ सहितो ए कपटी श्रावक हो यने परणीवाहीने एणे कूड ॥ मा० ॥ नली हूं रे नुलवाणं। दासु एहथी, धुरथी में नाव जाण्यं कूड ॥ मा० ॥२॥धूतारे नाखी मुजने फंदमां, तेहनो हुँ केहो करीश उपाय ॥ मा०॥ माहरुने पिदर रडं वेगवं, पुःखमु ए जा केहने कहाय ॥ मा० ॥३॥ सुरतरु जाणी में बाथ जरी हती, थई नि वड्यो नाह बबुल्ल ॥ मा० ॥ दीसे ने बाहेर फररा फूटरा, जीतर सुरपति मदिरा मूल ॥ मा० ॥४॥ कर तो में होंशे करी घाख्यो हुतो, जाणीने लीली नागरवेल ॥ मा० ॥ पण तो ए निवडीयों कौअच वेलडी, खलढुंती यावी मलीयो खेल ॥ मा॥५॥ न मिटे क्यारे विधिना अकरा, पडयुं पार्नु कपटी
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