SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१३) सहुको करशे जीजी ॥ पे० ॥ १७ ॥ जोडं तुऊथी अंतर राखू, तो परमेश्वर साखी ॥ ए चालीशमी ढाल सनूरी, मोहन विजयें नांखी ॥०॥ १७ ॥ ॥दोहा॥ __वचन सुणी गणिकातणां, नमया थइ निसनेह ॥ चित्तथी करे विचारणा, एम शुं कहे जे एह ॥१॥ धन शुं थोडं घरें, जे एम वेचे तात ॥ हिये उपावी एहवी, केम मनाये वात ॥२॥दासी मूकी एणीए, मूजने राखी गेह ॥ तात जणी विप्रता रियो, एहनुं कारण एह ॥३॥ अनुमानें जोतां थकां, दीसे गणिका एह ॥ मायायें करी मुज थकी, मांडे फुगे नेह ॥४॥ गणिकायें नमया जणी, लही उदासी जाम ॥ मीठे वचनें चड वडी, मुखथी बोले ताम ॥५॥ रे पुत्री चिंता तजो, हसो रमो हित आणि ॥ परिकर निकर हे पद्मिनी, पोतानो करि जाणि ॥६॥ ॥ ढाल एकतालीशमी ॥ देशी हमीरियानी ॥ कहे गणिका नमया जणी, सांजल माहरी वात ॥ सुरंगी ॥ खोटी शीकरे शो चना, चूंमी केहनो तात ॥ सु० ॥१॥ मान वचन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy