SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११४ ) श्राशिष विख्यात ॥ सु० ॥ स० ॥ १५ ॥ आव्यो शा ह उतावलो ॥ ७० ॥ मेरे थई उजमाल ॥ सु० ॥ सं० ॥ एकही साडत्री शमी ॥ सा० ॥ मोहन विजयें ढाल ॥ ० ॥ ० ॥ १७ ॥ सर्व गाथा ॥ ॥ दोहा ॥ व्यो नमयानो पिता, मेरामांहि जेवार ॥ न मया सुंदरी पुत्रिका, दीवी नहीं तेवार ॥ १ ॥ अर ही परही अंगजा, जोइ घणुं ए तेण ॥ पण नमया लाने नहीं, खबर न जाणी केण ॥ २ ॥ शाह करे आलोचना, कुण पदरी गयो एह || एमाण चिं ति किहां गई, हूंती पुत्री जेह ॥ ३ ॥ बब्बर कूलें घर घरे, जोई नमया तात ॥ पण नमयानी सोहणे, को इन जाणे वात ॥ ४ ॥ सेवकने लंगडा, देवे नमया तात ॥ राथी मुऊ अंगजा, किणें अपहरी कहो वात ॥ ५ ॥ शुं जाएं सेवक कहे, अमने न थइ व्य ति ॥ मानव तो कुणापहरे, थइ कोइ दैवी शक्ति ॥६॥ ॥ ढाल यात्री शमी ॥ फूलडी काजल सारे राज, देखो जमर नजारा मामारे राज ॥ मृग नयणी नागरी फूली ॥ ए देशी ॥ नमया तात विचारे राज, क्षण में पुत्री संजा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy