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(१९३) तणा करनी खरी ॥ क० ॥ में उलखी अजिराम ॥ सु० ॥ स० ॥ ए॥ तात वचन केम लोपियें। लो॥ एम कस्यो मनथी विचार ॥ सु०॥ स०॥ ग णिका कूड न जाणियुं ॥न ॥ नमयायें तेणी वार ॥सु०॥ स ॥१०॥ दासी साथे संचरी॥ सं०॥न मया सुंदर तेह ॥सु॥स०॥जेम कोश् नर जाणे नहीं॥जा०॥तिण विधे आणी गेह॥सु॥सम्॥१९॥ बेसारी प्रबन्न उरडे ॥5॥ नमयाने सोत्साह ॥सु॥ सम् ॥ खबर करी गणिका नणी ॥ गण॥ दासीयें स मस्यामांहि ॥सु०॥स० ॥१॥ नमया पासेंथी मुखिका ॥ मु॥लीधी करीने प्रपंच ॥ सु॥स० ॥ दीधी गणिकाने दासीयें ॥ दा०॥ जूठ कपटीना सं च ॥ सु०॥ स० ॥ १३ ॥ सोंपी नमया तातने ॥ ता० ॥ पाली मुखिका तेह ॥ सु०॥ स ॥ मलशे कारी गर एडवो ॥ए०॥ तोजी मगावशुं एह ॥ सु०॥स ॥ १४ ॥ मेरे पधारो साहिबा ॥ सा ॥ करवो हशे रोजगार ॥ सु० ॥ स० ॥ राखजो अम ऊपर मया ॥ ज० ॥ सोंपो थमने दीनार ॥ सु० ॥ स० ॥१५॥ गणिका वयणें हरखियो । ह० ॥नमया केरो तात ॥ सु० ॥ स ॥ तूंपी दीनार उठ्यो तदा ॥ ज० ॥ देई
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