SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११२ ) सु० ॥ स० ॥ १ ॥ नहिं श्रावो हमणां तुमे ॥ ६०॥ तातजी करशे रीश ॥ सु० ॥ स० ॥ बीजो फेरो मू ऊने ॥ मू० ॥ विशवावीश ॥ सु० ॥ स० ॥ २ ॥ श्र म कुराणीने पुत्रिका | पु० ॥ बे अति नाही तेह सु० ॥ स० ॥ तातें तस देखी करी ॥ दे० ॥ तुमने संज्ञायां एह ॥ सु० ॥ स० ॥ ३ ॥ तात कहे मुक बालिका ॥ बा० ॥ श्रति नाही गुणवंत ॥ सु०॥०॥श्रम व कुराणी पण कहे ॥०॥ ऊ पुत्री श्रति संत॥ सु०स०॥४॥ पुत्री माटें परस्परें ॥ प० ॥ परठी तेणे दोन ॥ सु० ॥ स० ॥ हुकम तेणें बीदु मेलव्यो || मे० ॥ केहमां दी जें खोड ॥ सु० ॥ स० ॥ ५ ॥ तातें तेणे कारणें ॥ का० ॥ मूडी दीधी मु ॥ सु० ॥ स० ॥ तत्क्षण मूकी तेडवा ॥ ते० ॥ अहो नमया कहुं तुज ॥ सु० ॥ स० ॥ ६ ॥ जोउ निहाली मुद्रिका, ॥ मु० ॥ बे तुम तातनुं नाम ॥ सु० ॥ स० ॥ कूड में केम जांखीए जां० ॥ सोने न लागे श्याम ॥ सु० ॥ स० ॥ ७ ॥ जो जूठ करी त्रेवडो ॥ ० ॥ तो कां न उलखे एह ॥ सु० ॥ स० ॥ कर कंकण शी आरशी ॥ श्र० ॥ जोवी पडे बे जेह ॥ ० ॥ स० ॥ ८ ॥ नमया सुंदरी मुद्रि का ॥ मु० ॥ देखी वांच्यं नाम ॥ सु० ॥ स० ॥ तात Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy