SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (एव) की, थावे नृपने पास ॥ कुमरीनां संदेसमा, इंम संज लावे तास ॥३॥ ॥ ढाल ठमी ॥ कोश्लो परवत धूंधलो ॥ होलाल ॥ ए देशी ॥ ॥ संदेसो मलया कहे होलाल, सांजल पुरना इस ॥ नरिंदजी॥गुनह करी में रावलो होलाल , अलवें पाई रीस ॥ न० ॥ १ ॥सं॥अवगुण खमजो माहरो होलाल, कीधा जे में अजाण ॥ न॥मरण सरण में तें सिरे होलाल, दंक कस्यो परमाण ॥न॥ सं॥ ॥ श्रावू प्रज्जु पद नेटवा होलाल, तुम वचनें महां नाग ॥ न ॥ अतिथि हूंथा परलोकना होलाल, लहेसुं ते वली लाग॥ न० ॥ संग ॥३॥ म न ग में तो यहां थकी होलाल, ग्रहेजो प्रणति अनेक ॥ न०॥ प्रणति वली बिहुं मायने होलाल, कहेजो मु ज सुविवेक ॥ न ॥ सं० ॥ ४ ॥अनरथ जे में आच यो होलाल, ते नांखो निरसंक ॥ न० ॥ दोष देखा मी मारतां होलाल, न हुवे कालकलंक ॥न०॥सं० ॥ ५॥ नूप विचारें देखजोहोलाल, करी वैरीनां काम ॥ सुलोचनी॥ गुनह पूबावे आपणो होलाल ॥ अण जाणी थर आम ॥ सुलोचनी॥६॥चरित्र जलोमल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy