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________________ (LU3) न्या इंम विलपे तिहां, हाहा मुज किए जाख्या, अव गुण वैर वसाई होराज || १५ || मुज मुख निरखी दुखतो, ते पण थइ अतिवांको, नरपति मुजनें मारे होराज ॥ चंपकमाला मावमी, ऊपरांठी थई बेटी, नृ पने ते नवी वारे होराज ॥ १६ ॥ मलयकुमर मुज सुंदरू, ते पण खं ध्यामा, कान देईने बेठो होराज ॥ बंधु वरग हुं परिहरी, परिहरियें जिम मीठो, पण जे जोजन एगो होराज ॥ १७ ॥ पुण्य गयां किहां माह रां, प्रगट्यांक्यांथी प्रौढा, पाप पूरव जव के हो राज ॥ करुं धरणी तुज वीनती, थे मारग जिम पेसी, काहुं प्राण घेरा होराज ॥ १८ ॥ महोल मांदे मलया रही, पूर्व कर्मने निंदे, कहेसे वली कांइ थागें होरा ज ॥ बीजे खंदे सातमी, ढाल सरस ए जाखी, कांतें म ति रा होराज ॥ १९ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ तेमावे मलया हवे, वेगवतीने वेग ॥ नृप यादेश सु णावीने, कड़े निज कारज नेग ॥ १ ॥ सखी सिधा वो नृप कन्हें, कहेजो इंम संदेस ॥ तुम पुत्री म मुज मुखें, दीघो बे निर्देश ॥ २ ॥ वेगवती बाला थ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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