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या तणो होलाल ॥ ए आंकणी ॥ कपट मंजूस त्रिया कही होलाल,मुखमीठी धूतारि॥सु०॥ मधुलिपी वि ष गोलिका होलाल, एवी रची किरतार ॥ सु० ॥चल ॥७॥प्रणति म होजो एहनी होलाल, नहीं मुख-दी ठे काम ॥ सु०॥ मरण सरण वहेली करो होलाल, कन्या अवगुण धाम ॥सु०॥च॥॥ वेगवती व लतुं नणे होलाल, नरपतिने कुमणाय ॥ सु० ॥ गो ला नदी तट दाहिणे होलाल, अंध कूड कहेवाय॥ सु०॥ च ॥ ए॥ जंप देई कुमरी तिहां होलाल, कर से जीवित नास ॥सु० ॥ईम करी रोती जूरती होला ल, आवे मलया पास ॥ सु०॥ च ॥ १० ॥ वेगव ती मलया जणी होलाल, नाख्यो तेह प्रबंध ॥ सुक ॥ तास वचन अविलंबीने होलाल, ऊ तिहांथी मुंध ॥ सु० ॥ च० ॥ ११ ॥ वज्रकठीन हीयतुं करी होला ल, साहस वस असमान॥सु॥पूवकर्मने निंदती होखाल, धरती नवपद ध्यान ॥ सु॥ च० ॥ १२॥ धारी मन निर्नय पणे होलाल, विंटी सुनट अनेक॥ सु०॥ पालें पग पंथें वहे होलाल, साही सवलो टे क॥सु०॥ च० ॥ १३ ॥ पग पग पंथें आफले हो लाल, पमि पनि ऊ तेम ॥ सु०॥ दासी दास उदा
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