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________________ (७१) अनुमान शिखा रतिपति बमी होण्॥ शि॥४॥ब लिहारी ललं तास घड्यो जेणे एहवो हो ॥ घ० ॥ निरख्यो रूप निवास जनम सफलो हवो हो ॥ ज॥ नृप बाला जरी नयण पीये रस रूपनो हो॥पी०॥ लागो जश्ने गयण उमाहो चूपनो हो ॥ ज० ॥५॥ नृपसुत पण ते देखी थयो मदनाकुलो हो॥थ॥ वाध्यो विरह विशेष अलेख उपांपलो हो अ॥ अहो अहो रूप निहाली चतुर गुण धारिका हो॥ च० ॥ परणी अडे एह बाल के हजीथ कुंथारिका हो॥ के ॥ ६ ॥ श्म चिंतवतां लेख लखीने बा लिका हो ॥ लण्॥ नाखे नीचुं देखत लागी जा लिका हो ॥ त ला ॥ कुमरे सकल उदंत चतुर प णें वांचिया हो ॥ च ॥ पदपद अंग अनंतह ह रख रोमांचिया हो ॥ ह॥७॥ कवण अडे तुज जाति रहे तुं किहां वली हो ॥र॥ नाम कवण कु ण जाति जायो तुं महाबली हो॥जाण॥ वीरधवल नी जाति अहंकमारिका हो॥अ॥ मोही ता हरु गात निहाली बारिका हो॥ नि० ॥ ॥ तुम विरहें मुज काय रही ए जलबली हो॥रही॥ ट देश महाराय करो हवे सीथली हो ॥क० ॥ वां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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