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(७०) र मन कौतुकी, निरखत पुर आवास ॥ जमतो नम तो आवी, मलया मंदिर पास ॥१०॥ ॥ ढाल बीजी ॥ थाहारा मोहला ऊपर मेह जबूके वीजली होलाल, जबूके वीजल
॥ कुमरी कुमर, रूप, निहाली तव तिहां होला ल निहाली ॥ मांमे मीट अनूप कुमर ऊनो जिहां हो ॥ कु० ॥जक न पके तिल मात्र, के विरहथी परजली हो ॥ के ॥ कामातुर अकुलात, के दुश् मन आकली हो ॥ के ॥१॥ निरखी सुंदर अंग वखाणे तेहनां हो ॥ व०॥फूल्या जासू रंग चरण तल एहनां हो ॥ च॥ तेज तणो अंबार रह्यो सु रपात जिस्यो हो ॥र ॥ मयगल सुंगाकार सुजंघा युग तिस्यो हो ॥ सु० ॥२॥ सुंदर कटीनो लंक वि राजे लंकथी हो॥ वि०॥ मावे करतल माग जलो मध्य अंकथी हो ॥ न०॥ हृदय महा सुविशाल नु जा नोगल जिसी हो ॥ नु० ॥ रेखा त्रण गलनाल कहुं उपमा किसी हो ॥ क० ॥३॥ सूमा चंचु स मान सुहावे नाशिका हो॥ सु० ॥ मणिदर्पण जप मान कपोलें नासिका हो॥क० ॥कामणगारी का में अमी बिहूं आंखमी हो ॥ १० ॥ श्याम जमर
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