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(६४) दिनवन सोधि विधि रे हांजी, मूक्यांसघला बंदी वान ॥ ए॥७॥ वाज्यो पमह अमारनो रे हांजी, देश माहे जय गंजण नाग॥ए ॥कुसुम पगर नां तें जया रे हांजी, धूपघटा पसरी नन माग ॥ ए॥ ७॥ जनपद अकर कस्या हसें रे हांजी, ताड्या उंछ लि वाज्या घोर ॥ एम् ॥नाच करी हाव नावथी रे हांजी, वार वधू कुल चतुर चकोर ॥ ए॥ ए॥ अक्षत पात्र नरी रंगथी रे हांजी, नृपने वधावे श्रा वी नार ॥ ए. ॥ विकशित रंग वधामणां रे हांजी, चतुर सचिव मलिया दरबार ॥ ए० ॥१०॥ जुवन जुवन थापा दीया रे हांजी, सुरजी अगर कुंकुम घन घोल॥ए॥ उत्सवमहोत्सव मांमिया रेहांजी, शोजावी नगरनी पोल ॥ ए०॥ ११॥ मांगलिया मंगल लणे रे हांजी, बंजण नणे बहला स्तुति पाठ ॥ ए॥ मक्ष रमें बल माहता रे हांजी, नटुथा के उंचा काठ ॥ ए॥१२॥ जिन जुवन पूजा रचे रे हां जी, सामी नक्ति करंत अनेक ॥ ए॥अवसर क र खेंचे नही रे हांजी, कहिये साचो तास विवेक ए०॥ १३ ॥ अशुचिकर्म वित्या पड़ी रे हांजी, सं तोषे सुपरें कुटुंब ॥ ए॥ कर पंकज जोमी कहे रे
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