SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६५) पोहोता निज निज गर हो ॥ मु०॥ १५ ॥ नाहण करी नरपति गृहें ॥ वा ॥पूजे अरिहंत बिंब हो। मृ॥ नोजन विविध प्रकारनां ॥ वाण आरोगे अ विलंब हो ॥मृ ॥ २०॥ जुपति दयीता संगतें ॥ वा० ॥ विलसे नवनव नोग हो । मृ० ॥ पुण्यथकी दिशा पाधरी ॥ वा० ॥ लहेसे सकल संयोग हो । मृ ॥२१॥ गर्नधरे ते दिनथकी ॥ वा ॥ पटरा णी गजगेल हो ॥ मृ॥ कांति कहे ए पनरमी ॥ वा० ॥ ढाल सरस रस रेल हो । मृ ॥१२॥ ॥दोहा॥ ॥युगल गर्ज जिम जिम वधे, तिम तिम नृप मनमो द॥ राणी जाग्य सोजाग्य जर, धारे विविध विनोद ॥१॥ तन रक्षा रूमी परें, जुप करावे तास ॥ करे कृतारथ दोहला, पूरे मननी श्रास ॥॥ दयिता मुख केते दिने, केतक दल बबी ढुंत॥ तनु पुर्बल स पगार रस, अल्प अल्प नावंत ॥३॥ मुख परिमल रस लाल, चिहुँदिसि जमर लमंत ॥ सहज़ सुरनि उसासथी, पंकज कुल लाजंत ॥ ४॥ पूर्ण दिवस शुज वासरे, शुज मुहूर्त शुज वार ॥ पुत्र पुत्रिका रु पतिणे, प्रसव्यो युग्म उदार ॥५॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy