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________________ (५३) रयाम ॥ ते माटे पूडे हवे, राणीने इंण गम ॥७॥ ॥ ढाल तेरमी ॥सोनानी आंगीहे, सुंदर मारा साहेबाने अंग, विच विच रतन जमाव, कोमी सूरज करुं वारणेजी ॥ ए देशी ॥ मृगा नयणी राणी हे, सुंदर हवे नयण उघाम ॥ ऊगे राणी आलश बगेमी, कषको प्रीतम अलजो करे जी ॥१॥ प्रिया मोरी बोलो हे, हसित मुखें मीठमा बोल ॥ कहो राणी वीतक वात, धुरथी जाणीजे जिण परेंजी॥॥ वयणा ते सुणी हे, राणी कहे निता ढांग ॥ कहो पीन ऊजाडो केम, जीना वशन ए पहेरीनेजी ॥३॥ लखगमे ऊना हे, निकट चय पाखलें लोक ॥ कहो पीउ शिबिका मांहें, ग्वीय ला व्या बो केहनेजी ॥४॥ नृपति कहे माहरी हे, सुंद र पढे कहेसुं वात, कहो तुमचो विरतंत, जिम श्रम मन सांसो टलेजी ॥५॥ क्यां गश् क्यां रही हे, नव ल किहां पाम्योहार॥कहो किम पेठी काठ, किणे वा ही गोला जलेंजी ॥६॥ पदमणीप्रेमे हे, कहे एणे वमनी बगंहिं ॥चालो पीउ थासुब, संजलावू थ म वातमीजी ॥७॥नृपति तवाव्यो हे, सकल ज न विव्यो तेथ ॥ श्रमें जरी कोमल काय, तमकें तपी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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