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( ४१ )
त दीसे सर्वथा ॥ के सुर मारी केण रे, के म न पीमायें, साजी तनु केम अन्यथाए ॥ ४० ॥ मरशे निश्चें राय रे, देवी मोहियो, राज्य जंग थाशे सही ए ॥ करवो कोण प्रकार रे, इम मंत्री सहू, अबोल्या रह्या कही ए ॥ ४१ ॥ मंत्री नाम सुबुद्धि रे, बोल्यो तत्क्षणे, काल विलंब न कीजीयेंए ॥ तो होये कोइ उपाय रे, जेथी नूपने, मरण थकी राखीजीयेंए ॥ ४२ ॥ मंत्री बोल्यो एक रे, वली एम चित्तधरी, कालक्षेप केणी प रें हूवेए ॥ राजा देवी मोहें रे, घारयो परवरों, काज काज नवी जुवे ए ॥ ४३ ॥ वली कहे मंत्री सुबुद्धि रे, विषनी विक्रिया, बे देवी ए जीवसे ॥ मणिमंत्रोषध योग रे, विष टलशे परहो, राणी यति सुख पामसे ए ॥ ४४ ॥ जूठो कही ने एम रे, नृपने श्राश्वासी, क रत का निवारीयें ॥ गुप्तमंत्री करे सर्व रे, मंत्री सर बोल्या, राजन विष उपचा रियेंए ॥ ४५ ॥ कांई क ये महाराज रे, चिपट अधिरता, नवलां मंगल वर तशेष ॥ सांजली एम. नरेश रे, विकश्वर लोचने, दर्ष सुधा नाह्यो तिसें ॥ ४६ ॥ करशे कोकी उपाय रे, नृपने जोलवी, मंत्री तर मति श्रागज्ञा ए ॥ दशमी
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