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________________ (३०) ॥ ६ ॥ लोनाकर बांधव सहित, चंद्रपुरीनो शाह ॥ विद्या थंन्यो तात मुज, ते बोमो नरनाह ॥७॥ विनय सहिये साहेबा, करियें ए उपचार ॥ जां जी तुं तां तुम तणो, गणसुंए उपकार ॥ ॥ विगत पणे वृत्तांत सवि, नाखे करी मनुहार ॥ करतां नृपने वीनती, रीज्यो चित उदार ॥ ए॥ ढाल नवमी॥जीहोमथुरानगरीनोराजीयोए देशी॥ ॥जीहो राय अचंजो पामी,जीहो बोल्यो शीस धुंणाय । जीहो विषथी अमृत ऊपनो, जीहो अकथ कथा कहेवाय ॥ १॥ कुमर वारी धन धन तुम अव तार ॥ जीहो आप सहित फुःख दोहिलो, जीहो की धो मुज उपकार ॥ कुमर ॥ ए आंकणी ॥ जीहो ते तेहवा तुं एहवो, जीहो उपकारक पवीत्र ॥ जीहो अ बूत रचना दैवनी, जीहोदीठीआज विचित्र॥कुम ॥॥ जीहो कारण गुण कारज ग्रहे, जीहो ए हवं शास्त्र प्रसिझ ॥ जीहो तात तणा उरगुण विधि, जीहो पण तुज अंग न कीध ॥ कम॥३॥ जीहो काम अडे ए केटवू, जीहो करवो में निरधार ॥ जी हो पण कारण तुज हाथ , जीहो जेहथीन लागेवा र ॥ कुम० ॥ ४॥ जीहो श्णे पुर परिसर बाहरें,जी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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