SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३१६) उत्सव रंग वधामणां, वीवे निशिदीश ॥ ये लाहो खखमी तणो, अवसरविद अवनीश ॥ ३॥ सकल नगर लोकां प्रत्यें, करी महा उपगार ॥ नपने प्रती महत्तरा, तिहांथी करे विहार ॥ ४ ॥ पुहवीगण म हापुरे, लघु सुत बोधण काम ॥ समवसरी मलया महा, सती नमी नृप ताम ॥५॥ ॥ ढाल आमत्रीशमी। जांजरीया मुनिवर धन्य धन्य तुम अवतार॥ ए देशी ॥ ॥ पुहवीपति साधवी मुखेजी, निसणी रेश्रीश्रत धर्म ॥सपरिवार जिन धर्ममांजी, थिर थयो प्रीतीने मर्म ॥१॥ गुणवंतो रे महीपति, जावी सहसबल नाम ॥ ए श्रांकणी ॥ दिन केताश्क अंतरेंजी, शतबल नामें नरिंद ॥ महत्तरा वंदन जणीजी, थयो उतकंठ अमंद।गु०॥शलघु बांधवनाप्रेमथीजी, श्राकरष्यो उमगंत ॥ यावे तिहां परिवारशुं जी, बे बां धव त्यां मिलंत ॥ गु० ॥३॥बे बांधव दिन प्रत्ये जजी, वांदी महत्तरा पाय ॥ सुणे धरमनी देशनाजी, मन थिरजावें ठहराय ।। गु० ॥४॥ स मकितधारी व्रतधरूजी, पूजितदेव त्रिकाल ॥ दाने पोषे पात्रनेजी, जीवदया प्रतिपाल ॥ गु० ॥५॥य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy