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(२५ए) गम चूकावशुंजी ॥ १७॥ मंत्री होम मंत्री दोय नरेश, करवा होरण करवा सिझ नरिंदगुंजी ॥ चाल्या हो धकि चाट्या कटक निवेश, करता हो पथ करता पथ स्वछंदशुंजी ॥२०॥ उदधि हो जिम उदधितिलक पुर पास, आव्या हो धर अाव्या धर कंपावताजी॥वा दल हो दल वादल उंच आकाश, दीधा हो तिहां दीधा मेरा फावताजी ॥ १५ ॥ बे नृप हो हवे बे नृप मूकी पूत,आगम हो निज आगम हेतु जणावशेजी ॥सा हमो हो नृप साहमो सेन संजुत्त, करवा हो रण क रवा रसमां आवशजी ॥ २०॥चोथे हो एह चोथे खंमें ढाल, नांखी हो म नांखी सत्तरमीनावथीजी॥ सुणतां हो घर सुणतां मंगलमाल, आवे हो नित्य आवे कांतें सुहावती जी ॥ २१॥
॥दोहा॥ ॥ वीरप शूर बन्ने मली, शीखावी अदनूत ॥सि छ नरेसर उपरें, मूके उर्दम पूत ॥ १॥अवसर विद वाचाल मुख, साहसिक निर्लोन ॥ स्वामीजक्त हित मग कथक, परखद मांहे अदोन ॥॥ दीर्घदर्शी दीरघगति, सर्वसह मतिवंत॥ नीति निपुण प्राहक पिशुन, ( शत्रुनो चामिल ) ए गुण पूत वहंत ॥
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