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________________ (२५१) व्यो पाबो, साले मार कुचोटनी होलाल ॥ लोक स ___ मद समजावित्रं रे, थाशे हवे अनिमुक रे॥ चिंते इम बीजी, खांचे नशा शिड कोटनी होलाल॥१५॥ वदन वलीने पाधलं रे, बेषु पाईं गम रे ॥लागी न हिं वेला, हुर्ड अंतेजर त्यां खुशी होलाल ॥ कर जो मी कहे सिडने रे, वेचाणा तुम नाम रे ॥ सुगुणा ससनेही, जोय ते मागो हसी होलाल ॥२०॥ सि छ हवे मागशे शहां रे, चौपे मलया बाल रे॥नूपति पासेयी, अरज करावी तेहशुं होलाल ॥ चोखी चो था खमनी रे, एह पन्नरमी ढाल रे ॥ नांखी रस ने ली, कांतिविजय बुध नेहशुं होलाल ॥१॥ ॥दोहा॥ कुमर कहे राणी प्रत्ये, वंडित श्राप विचार ॥ जो होय चारो तुम तणो, तो देवरावो नार ॥ १ ॥ गोरमीयां गुणवंतियां, जो देवरावो वाम॥तो थोमामां प्रीउजो, सरियां मुज लख काम ॥ २ ॥ वचन सुणी राणी सवे, आवी नृपनी पास ॥ मलया मूकावण न णी, करे कोमि अरदास ॥३॥ उत्तर न दीये महीप ति, पागे कां प्रगट्ट ॥ आने काने काढतो, चिंते एम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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