SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २४७ ) यास्पद ठे अविवेक ॥ संपद होय सयंवरा, निरखी नृप नय बेक ॥ ४ ॥ तेह जी नय गोचरें, निगम विचारी गुद्ध ॥ यतम वचन प्रमाणवा, आपो महि ला मु ॥ ५ ॥ सामंतादिक बोलिया, करो देव ए. चय ॥ अनय र कोपाववो, न घटे ए नर रयण ॥ ६ ॥ ॥ ढाल पंदरमी ॥ योगी सर चेला ॥ ए देशी ॥ ॥ वचन सुखी नररा जियो रे, पमीयो विमास मांदि ॥ नारि रस रातो, पेठगे उपपल गोचरें दोबाल || दियमे चढी मुज नायिका रे, प्यारी जीवन प्रांहीं रे ॥ करशुं विधि केही, मुज मनथी नवी उतरे होलाल ॥ १ ॥ मंत्र तंत्रादिक योगनारे, बढेतो विविध प्रकार रे || साधे बाहिरनां, कारज ए सहेजें इहां होलाब | तेह जणी निज देनो रे, सोंपुं काम सफार रे ॥ अन्यंत र कोई, पुष्कर ते करशे किहां होलाब ॥ २ ॥ कार जवि कीधे सही रे, जोतां पुरनां लोक रे । दोशे ट शीयाला, चोंगे पमशे बापको दोखाल ॥ फरि नहीं मा गे सुंदरी रे, याशे मसागति फोक रे || पहेली जे की धी, मलशे नहीं वली ताकको होलाल ॥ ३ ॥ म करे फावशे प्रिया रे, अपयश लोक विचाल रे ॥ न हीं होशे महारे, एवं विचारी बोलियो होलाल || For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy