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(२४) मृत्यु माहरुं रे मित्ता, पमिया नूमि बेहाथ ॥ सि॥ ॥६॥ सा० ॥ जो पण देवप्रनावथी रे मित्ता, क रशुं पुष्कर काज ॥ सि० ॥ सा० ॥ जीवितने मुज सुंदरी रे मित्ता, दोय वात सुसाज ॥ सि॥७॥ ॥ सा ॥ धारी एहवं आदरें रे मित्ता, मंत्री वचन तिम तेह ॥ सि० ॥ सा ॥ आसनयी ऊठ्यो धसी रे मित्ता, साहसनुं कुलगेह ।। सि ॥ ७ ॥ सा० ॥ मलया जल नयणे नरे रे मित्ता, पुःख पूरे दिलगीर ॥ सि०॥ सा०॥ महबल जण वीट्यो घणे रे मित्ता, आवे गिरिवर तीर ॥ सि ॥ए॥सा०॥जिम जिम गिरि जंचो चढे रे मित्ता, तिम तिम जणने शोक॥ ॥ सि ॥ सा ॥ नूप तिने मंत्री हश्ये रे मित्ता, वाधे हर्षना प्रोक ॥ सि० ॥ १०॥ सा || शोने गिरि ट्रंके चढ्यो रे मित्ता, उदय गिरि जिम सूर ॥ सि०॥ ॥सा०॥ नृप सुनटें नीचो रह्यो रे मित्ता, अंब दे खाड्यो दूर ॥ सि०॥ ११ ॥ सा० ॥ रूमुंजे में उ पाज्यु रे मित्ता, न्याय धर्मनें मेल ॥ सि० ॥सा० ॥ सफल हजो माहरु शहां रे मित्ता, तेहथी साहस खेल ॥ लिए ॥ १२ ॥ सा इंम कहेतो अंबा थकी रे भित्ता, यापे कंपापात ॥ सि०॥ सा० ॥
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