SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ए) शान मां, दीसे तेह सुरंग रे ॥ मो० ॥ क० ॥ २६ ॥ ॥ मो० ॥ पश्यतहर दीसे मूर्ख, चिंती इम शिल तेय रे ॥ मो० ॥ कण्॥ मो० ॥ ढांकी बार सुरंगनें, नीसरियो जमहेय रे॥मो॥क॥२७॥मोबाने पुरमा पेसतां, निसुण्यो पमहं निनाद रे ॥मो० ॥ क० || मो॥पू ब्युं जाण्युं ताहरें, व्याप्यो विष उन्माद रे । मो० ॥ ॥ क० ॥२७॥ मो० ॥ तुज विरहो अण सांसही, प मह बब्यो पण बंध रे॥मो॥ कण्॥ मो०॥ मणि योगें साजी करी, गाल्यो विषनो गंध रे ॥मो० ॥ ॥क० ॥ ॥ मो० ॥ बांध्यो वचनें सांकमो, धीगे पण नरनाह रे ॥ मो० ॥ कण् ॥मो॥ देशे तुजने मु ज जणी, हवे न करे मन दाह रे ॥ मो० ॥ क० ॥ ॥ ३० ॥ मो० ॥ पीयु वचनें रंजी त्रिया, चोथा खं म विचाल रे ॥ मो० ॥ क० ॥ मो० ॥ कांति विजय जांखी रसें, निरुपम नवमी ढाल रे॥मो॥क०॥३१॥ ॥दोहा॥ ... || कुमरें नूपति तेमी,आव्यो अधिक प्रमोद ॥ निरखे बाला हर्खथी, करती वात बिनोद॥ १॥ शिर धूणी नूपति जणे, अहो शक्तिनो खेल ॥ अम फुःख साथें जेणीयें, फेंक्यो गरल उवेल (प्रवाह)॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy