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(२६) शे कुण प्रतिबंध रे॥मो०॥॥५॥मो॥संकट पनि यो महीपति, कहे तुज देश तेह रे॥ मो॥ क०॥ ॥ मो॥ बीजां पण मुज केटलां, काम करीश जो हरे॥ मो॥ कण्॥६॥ मो० ॥ जे कहेशे नृप का म ते, करिने तुरत सर्व रे । मो० ॥ क० ॥ मो० ॥ले जाईश निज नारजा, चिंते एम सगर्व रे ॥ मो० ॥ ॥ का ॥७॥ मो० ॥ नूप वचन अंगी करी, आव्यो मलया समीप रे ॥मोगाक०॥मो॥मूगत दीठी त्रिया, मूकी गरल उदीप रे ॥ मो० ॥ क०॥ ७॥ ॥मो०॥विषम अवस्था नारीनी, जोतां जलनरें नय पण रे॥ मो०॥ ॥ मो० ॥रोधे मन का करी, बो ले इम वली वयण रे ॥ मो० ॥ क०॥ए। मो०॥ग त चेतन ए सर्वथा, न लिये श्वास लगार रे॥मो०॥ ॥ कण । मो० ॥ तोपण अंगें आगमी, करशुं हुं प्रतिकार रे ॥ मो० ॥ क० ॥ १०॥ मो० ॥ सर निषेधी लोकनो, धरणी करो जल सित्तरे ॥मो० ।। क० ॥ मो० ॥ तिमहिज नृपने सेवकें, कीधी धरा सुप वित्त रे ॥ मो० ॥ क० ॥ ११॥ मो०॥ तुपति आदें जन सवे, बेठा बाहिर आय रे॥ मो०॥ ॥क०॥ मो०॥ कुमरें मंगल मांनीयु, विष बालक
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