________________
(२२५) अण उलखू, थयो गोपिताकार ॥ करवा स्वारथ सा धना, बोल्यो वचन जदार ॥४॥ ॥ ढाल नवमी ॥ गाढा मारूजी, नमर पीवेजाठी
चगें॥अमली पीवे कलाल रे।। गाढामारु अति । उनमादी माहारो साहेबो ॥ए देशी ॥
॥ मोरा नेहीजी,अनवखतेंाव्या नलें, उपकार क सत्यवंत हे ॥ मो० ॥ करुणा ते कीधी साहिबे, मोहनजी मतिमंत रे ॥ मो० ॥ क० ॥ मो० ॥ तुम सरिखे आजूषणे, पुहवी तल शोनंत रे ॥ मो० ॥ ॥ क०॥१॥मो० ॥ मलया विष वालण तणुं, काम करो लेई हाथ रे ॥ मो०॥क०॥मो ॥ रणरंग आपुं हाथियो, जनपद तनुजा साथ रे ॥ मो० ॥क० ॥ ॥२॥ मो० ॥ लाचिगुं लोकां विबें, ए डे यशर्नु काम रे ॥ मो० ॥का ॥ मो० ॥ वजी हुं मुख बो व्यायकी, आपीश अधिक इनाम रे ॥ मो० ॥ कण्॥ ॥३॥ मो० ॥ महाबल कहे मुजनें इहां, आपीश मां तुं काई रे । मो० ॥ कण ॥ मो० ॥ मागु एहिज सुंदरी, जो पण निर्विष थाई रे ॥ मो०॥ कण्॥४|| ॥ मो० ॥ श्रावी देशांतरथकी, नहीं केहने संबंध रे ॥ मो० ॥ क० मो० ॥ एहवी मुजने थापतां, कर
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org