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________________ (१५३) यो ते आदरियो जेहनें रू० ॥ पूजी नवि बोले आंसू ढोले दुःखनां रू० ॥ निःश्वास विबूटे आहार न बोटे कमना रू० ॥॥॥मूर्जालही जागी कहेवा लागी एहवो रू० नोजन पिज पाखें न करूं लाखें जेहवो रू0 ॥ मूकी एक महेलें थाप्या गयले पाहरु रू० ॥ बेठगे जर काजें राज समाज पाधरु रू० ॥ ए॥ था शे किम कूपें नाख्यो नूपेंनाहलो रू०॥नीसरशे क्या थी किम करी त्यांची वाहलो रूप ॥ चिंता चित्त धर ती हझं जरती शोगमें रू० ॥थासंगल. गाढो कर ती दादाढो नीगमे रूप ॥ १०॥ रति त्यां अण. ल हेती, विरहें दहेती देहमी रू०॥॥ निशिमां एक मा गें नूतल नागें ते पमी रू०॥ मंकी विषधरिये रोष जरिये क्याहिंथी रू० ॥ बोली अहि विलगो न रहे अलगो हिंथी रू०॥ ११॥ नोकार संजारे जिन मन धारे थिर मनें रू० ॥ पोहरायत या हणवा धाया नागनें रू० ॥जीवितथी टाल्यो नाग उठाट्यो वेगलो रू०॥विरतंतसुणायोनूपति आयोव्याकु.लो रू.॥१॥ उपचार घणेरा कीधा नलेरा जे घट्या रू०॥ साहमा विष जोला लहेर हिलोला कमव्या रू० ॥ इंजी थयां शूना चेतन ऊना धारणें रू० ।। एक सास Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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