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जोरशुं रू० ॥ गयगण गहेरो कीधो बढेरो सोरशुं रु०२ ॥ तम उत्खंरुक जाणे करंक सापना रू० ॥ निरखंत जराणा कलश पूराणा पापना रू० ॥ अंधकूपक रें आवे करारें ज्यां त्रिया रू० ॥ भूपें लहि ताघा वे कर आघा ता किया रू० ॥ ३ ॥ सुख माहिं उतारी बाहेर नारी राजिये रू० ॥ बेटी पिउ विदुएं जणुं डुएं मन किये रू० ॥ महबल तस के में आव्यो में कांटने रू० ॥ कोपें कलुषाणो नरनो रा पोदीव रू० ॥ ४ ॥ चिंते एह रूपें अधिको मोपें टॅपीयो रू० ॥ लावण्य पयोधि नारियें शोधि वर की यो रू० ॥ मुज मीटथी रमण। काबी जमणी ए जुवे रू० ॥ मीठो गोल पामी खोलनो कामी को हुवे रू० ॥ ५ ॥ मादलि मारयो स परिवारयो गोठिनो रू० ॥ नाखुं ञं ध कोठीमां जिम पोठी पोटिनो रू० ॥ थापी म हूं की कापी मूकी दोरमी रू० ॥ बंधनथी बूटी मांची त्रूटी उथकी रू० ॥ ६ ॥ पमि ततखेवा खातो ठेबां कोरनां रू० ॥ नीचें ढल जावा लागा कांठा जोरना रू० ॥ नारी तस पूंछें पकवा कुठे साहसें रू० ॥ नू करसाही राखी वाहीनें तिसें रू० ॥ ७ ॥ आणी श्रावासे राय प्रकासे तेहनें रू० ॥ कुंए ए रस नरि
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