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________________ (१५) ॥७॥ चिंते ए कुंण वारु, सुंदर नर अति दीदार हो ॥ नू ॥ ए सुरपति अवतारु, कहुं अवर पुरुष ते कारु हो ॥ नू० ॥ ॥ वसुधाथी नीसरियो, कोश प्रत्यद ए सुरवरियो हो ॥ नू ।। विद्याधर गुणे जरि यो, के सिद्ध पुरुष अवतरियो हो ॥०॥ ॥पी मी काम विकारें, निहणे त्यां नयण प्रहारें हो। जू०॥ वेधी आरें पारें, तस रूप महारस धारें हो ॥ जू॥ ॥१०॥ यामिक संशय पेगे, जोखें कुंण गोखे ए बेगे हो ॥ नू ॥ अंतेउर वशि एणे, कीधुं समजावी नेणें दो ॥ ॥११॥जपतिनें वीन वियो, याव्यो नृप त्यां धसमसियो हो ॥ नू०॥ नीरुपम तरुणो दीठो, अति शांत सुखासन बेगे हो ॥०॥ १२ ॥ कुंण ए पेठो सौधे, चिंते नृप चढिर्ड क्रोधे हो॥ ॥ मलया बदले यो, कुण मूक्यो मुज अवरोधे हो ॥ नू । ॥ १३ ॥ नृपतें तेह दबावी, पूज्या जम्भृकुटी चढावी हो॥०॥ ते कहे मलया थाणी, न गई क्या बाहिर जाणी हो। नू०॥२४॥ बेगबां घरकारें,राजेसरजी निरधारें हो ॥ जू०॥कहे नूपति चित्त धारी, नर ए थयो तेहीज नारी हो ॥० ॥ १५ ॥नृप पूछे जई पासें, तुम रूप किश्यु ए जासे हो॥ नू० ॥ ते कहे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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