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________________ ( १८७ ) ॥ ढाल चौदमी ॥ जोशीयमा रे नगर सीरोही यो राय रे हो रसीया ॥ ए देशी ॥ ॥ जोशीयमा रे, लगन निहाली जोय रे हो सुगुणा, कहेने गुणवंती मलशे क्यां वली हो सु० ॥ जो० ॥ क्षण au aटमासी होय रे हो सु० ॥ मलया दरिसपनो सुत कौतूहली हो सु० ॥ १ ॥ जो० ॥ कहत म लावे वार रे हो सु० ॥ सुत मत यावे दुःखमे व्याकुली हो सु० ॥ जो० ॥ आतुर न सहे धीर रे हो सु० ॥ जगमां जिम न खमे पाणी पातली हो सु० ॥ २ ॥ जो० ॥ चित्तमiहे निरधार रे हो सु० ॥ लखिने लघु दायें लगन लो वही हो सु० ॥ जो० मलशे मलया नारि रे हो सु० ॥ अबला जीवती वरषांतें सही हो सु० || ३ || जो० ॥ कुमर सुणे तस वाणी रे हो सु० ॥ मीठमी जीवामण सरस सुधा सभी हो सु० ॥ जो० ॥ अवलंबे निज प्राण रे हो सु० ॥ काने पीयंतो कांई न करे कमी हो सु० ॥ ४ ॥ जो० ॥ पूढे कुमर उदंत रे हो सु० ॥ कहोने जीवंती किहां वे गोरमी हो सु० ॥ ॥ जो० ॥ जोशी तव पनांत रे हो सु० ॥ सांजल सलू ा जे कहुं बातमी हो सु० ॥ ५ ॥ जो० ॥ जाणी न जाये क्याहिं रे हो सु०॥ निवसे वनमांहिं के पुरमा वली हो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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