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ल ॥ होजी चाच्या अटवी राह, श्वापद जिहां वांका वसे होलाल ॥१५॥ होजी करता अनादर छ, दे खी मलया चिंतवे होलाल ॥ होजी दीसे कांक अ निह, इंण सूलें माहारे हवे होलाल ॥ १६ ॥ होजी हणवु के वनवास, सुसरें निश्चय आदिस्यो होलाल॥ होजी मुज अपराध प्रकाश, अणजाण्यो देख्यो किस्यो होलाल ॥ १७ ॥ होजी के मुज पूरव कर्म, उदित हु आं फल आपवा होलाल ॥ होजी नहींतो माग म म, बनी आवे किम एहवा होलाल ॥ १७ ॥ होजी कग्नि थरे जीव, खमजे कीधां आपणांहोलाल ॥ होजी दारुण कर्म अतीव, बूटे नहीं चाख्या विनां हो लाल ॥ १७ ॥ होजी पूरव श्लोक संनारि, नणती नियति निहालिने होलाल॥होजी मूकी वन संचार, आधु पाईं नालीने होलाल ॥ २०॥ होजी बानी ऊनम पाहाम, विषम थलीमांहे धरी होलाल ॥होजी प्रहसमे नीम निराम, आव्या जण नगरें फरी होलाल ॥१॥ होजी प्रणमी नृपना पाय, वात सयल तिहां कही होलाल ॥ होजी मलया मंदिर थाय, नूपति महीर करे वली होलाल ॥ २॥ होजी नाक रहित ते नारि, नृप जोवरावी मंदिरें होलाल॥ होजी दीठी
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