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( १७१) लीधे करवाल, आवत सुजट निहालीने होलाल ॥ होजी जिहां डे मलया बाल, कनका त्यां गई चाली ने होलाल ॥ ७॥ होजी थरथरती विण सूज, जल फलती बोले श्श्युं होलाल ॥ होजी नृप नट हणवा मुज, थावे जे करकिश्युं होलाल ॥७॥ होजी तुज पासें हुंथाज, नृप आदेश विना रही होलाल॥ होजी ते माटे महाराज, मुज ऊपर रूठा सही होलाल ॥ए॥ होजी क्याहिक मुजने बिपाम, जणनी मीट न ज्यां प मे होलाल ॥ होजी मन माने तिहां गाम, हाथ रखे कोश्नो अमे होलाल ॥ १७ ॥ होजी मलयाने निर्देश, पेठी तेह मंजूषमा दोलाल ॥ होजी रोती नागे वेश, बेसे मांहे एकेंगमां होलाल ॥ ११॥ होजी तुरतज तालुं दीध, अन्नय करी राखी तिका होलाल ॥ होजी श्राव्या सुजट प्रसिक, करता रगत कनीनिका होलाल ॥१५॥ होजी दीठी मलया तेण, बेठी रूप स्वनाव ने होलाल ॥ होजी ते कहे मरथी एण, बदल्यो सांग जटा किनें होलाल ॥१३॥ होजी फिटरे पापणी 3 5, जाणी तुं किम मारशे होलास ॥ होजी लागी लो कां पुंठ, केटली सृष्टि संहारशे होलाल ॥१४॥होजी श्म कहीने ग्रही बांहिं, काढी रथ चाढी तिसें होला
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