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________________ (१४) खूणी गोरमी ॥मुजने पण ताहरी परें रे, ए फुःख ख मी न जाय ॥ स० ॥१॥खबर करेवा मोकट्यारे, दिशिदिशि सेवक साथ ॥ स० ॥ते श्राव्याथी जाण शुं रे, वात तणो परमार्थ ॥ स॥२॥पामीशुं नहीं सर्वथा रे, कुमर तणी जो सुछि॥स ॥ तो तुज गति मुजने हजो रे, धारी में एहवी बुद्धि ॥स०॥३॥ ट कमण किण बेसशे रे, तेल जून तेल धार॥स०॥ कुंमल वसन कुमारनां रे, आव्यां सहसाकार ॥ सण ॥४॥ किम रहेशे बानो हवे रे, लाधो पग संचार ॥ स० ॥ पुरुष अपूर्वक दाखशे रे, तेहने ए निरधार॥ स०॥५॥ सहि नाणी राणी नणी रे,आपीने कहे जो एम ॥ स०॥ जिम ए अजाण्यां आवियां रे,सत पण यावशे तेम ॥ स ॥६॥ पुरुषने धीज करावशं रे, जेहथी लाधां साज ॥ स ॥ मलशे नंदन जीव तो रे, करशे जो महाराज ॥ स ॥ ७॥ महुलणी आवी महोलमां रे, सकल सुणी अवदात ॥ स ॥ कुंमल वसन समर्पिने रे, सुपरें सुणावी वात ॥ स० ॥ ७॥ विस्मित मन राणी हुई रे, पूढे वस्तु निदान ॥स० ॥ महुलणी आगम पुरुषथी रे, नांखे तस घ टमान ॥ स ॥ ए॥ हर्ष शोकाकुल कामिनी रे,म Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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