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________________ (१४४) ॥ १५ ॥ पुर पासें गोला तटें रे, नामे धनंजय यद रे ॥ मो० ॥ नूत गयां तस देहरे हो लाल, करवा कौतुक लद रे ॥ मो० ॥ नू० ॥ १६ ॥ निजपुर उ पवन नूमिनां रे, परिचित तरुनां वृंद रे ॥ मो० ॥ कुमर निहाली उलखी हो लाल, पाम्यो परमानंद रे ॥ मो० ॥ नू० ॥ १७ ॥ कुमर जणे मलया जणी रे, दीसे पुण्य प्रमाण रे॥ मो० ॥जेहथी ए वम ऊपमी हो लाल, आव्यो पुहवीगण रे ॥ मो० ॥ नू॥ ॥ १७ ॥ वम कोटरथी नीसरी रे, जश्य उपवन कूल रे ॥ मो ॥ सुर शक्ते वली ऊमशे हो लाल, तो कर स्यां श्यो सूल रे ॥मो०॥ नू॥१ए ॥ एम विचारी नीसख्या रे, वम कंदरथी दोय रे॥मो०॥कदली वन डे ढूंकडं हो लाल, तिहां जश्बेग सोय रे॥मोणाजू०॥ ॥२०॥ऊपमतो गयणांगणे रे, देखे वझवली तेम रे ॥ मो०॥ मांहो मांहे कहे इंहां थको हो लाल, जाशे आव्यो जेम रे । मो० ॥०॥१॥ जो रहेतां ए हमां वसी रे, तो जातां किण थान रे॥ मो०॥पमतां विषमी जोलमां हो लाल, जिम पवनें तरु पान रे ॥ मो०॥नू ॥२५॥त्रीजे खंमें एकही रे, सुंदर प Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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