SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४३ ) गर्मी हो लाल, बेटी राणी तेह रे ॥ मो० ॥ ० ॥ ॥ ८ ॥ विषथी के गिरि पातथी रे, के पेशी जल देश रे ॥ मो० ॥ मरशे के वली शस्त्रथी हो लाल, के करी अगनिप्रवेश रे || मो० ॥ ० ॥ एए ॥ लोक बहुलशुं राजीयो रे, मरशे पूंठें तास रे ॥ मो० ॥ खबर लेईने यावी यो हो लाल, हुं तिहांथी तुम पास रे । मो० ॥ नू० ॥ १० ॥ नूपनंदन व कोटरें रे, सांजले बेठो एम रे । मो० ॥ फाटे हीयकुं दुः खथी हो लाल, काचो घट जल जेम रे ॥ मो० ॥ ॥ ० ॥ ११ ॥ चिंता जर मन चिंतवे रे, देव कथ न नहीं फोक रे ॥ मो० ॥ थाशे जो एहवुं कदे हो लाल, तो करशुं श्यो प्रोक रे ॥ मो० ॥ ० ॥ १२ ॥ भूत कहे जश्यें तिहां रे, वहेलां बांकि प्रमाद रे ॥ मो० ॥ कौतिक जोशुं खंतशुं हो लाल, लेशुं रुधिर सवाद रे ॥ मो० ॥ ० ॥ १३ ॥ म कही सम कालें कस्यो रे, नूतकुलें हुंकार रे ॥ मो० ॥ आका शें वम ऊपड्यो हो लाल, लेता साथ कुमार रे ॥ ॥ मो० ॥ ० ॥ १४ ॥ वेगें वम न चालतो रे, श्राव्यो पुहवीवाण रे || मो० ॥ आलंबन गिरिनीचें जई हो लाल, तुरत कस्यो मेला रे ॥ मो० ॥ नू० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy