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________________ (१४२) रे ॥ मोहन रंगीला ॥ वात कडं नवली नली होला ख ॥ सांजलजो अदलूत रे ॥ मो० ॥१॥नूत वमो कहे वातमी हो लाल ॥ ए आंकणी ॥ कुमर सुणे रह्यो हेठरे ॥ मो ॥ रहस्य मरम जोतां वली हो लाल ॥ वेधक पामे नेठ रे ॥ मो० ॥ नू ॥२॥ पु हवी गण नरिंदनो रे, माहाबल नामे कुमार रे॥मो॥ ने मतिवंत गुणायरु होलाल, रतिपतिने अणुहार रे ॥ मो० ॥ नू० ॥३॥ तस जननी पदमावती रे, तेहना गलानो हार रे ॥ मो० ॥ किणहीक अलख पणे लीयो हो लाल, माय करे पुःख नार रे॥ मो०॥ ॥ ॥४॥ इंम पण बांध्यो आकरो रे, वालण हार कुमार रे॥ मो० ॥ हार न दौं दिन पांचमे हो लाल, तो मुज अगनि आधार रे ॥ ॥ मो॥ ४०॥ ॥५॥ मातायें पण आदस्यो रे, पण तेहवो निर धार रे ॥ मो ॥ पांच दिवसमां ते लहुं हो लाल, तो रहुं जीवित धार रे ॥ मो॥ नू० ॥ ६ ॥ ख बर नहीं ले कुमरनी रे, हार केमें गयो ऊ रे॥मो॥ पंचम दिन कालें हुशे हो लाल, सूरज ऊग्या पूच रे ॥ मो0 नूग ॥ ॥ नृपनंदन मुगतावली रे, मलवा पुर्खन वेह रे ॥ मो० ॥ ते फुःख मरवू श्रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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