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पतीजो ॥ मा ॥१॥राख्यो गोपवी हो बानो पहे लो॥ मा ॥ नूप जंजेरी हो कीधो पहेलो ॥मा॥ वैरिणी मलया हो कूप नखावी ॥ मा॥ संपत्ति स घली हो मुज घर आवी ॥ माण ॥२॥तेसांनलिने हो नूपति बोल्यो। मा० ॥ सूण पापिणीये हो मुजने जोल्यो ॥ माग || कपट करीने हो पोतें चोस्यो॥माणा मलया माथे हो दूषण उख्यो ॥ मा०॥३॥ धिग तुज जीव्यु हो अधम गार। ॥ मा०॥ वांकावहणं हां मलया मारी॥मा०॥कदिही न तेणें हो कमी छ हवी ॥ मा०॥ऊंचे सासें हो बोले न तेहवी ॥ मा० ॥४॥ हैहै वंच्यो हो कपट पवामे ॥ मा० ॥ इंम कही बारे हो हाथ परामें ॥मा० ॥ गाढे पोकारी हो धरणी ढली॥मा ०॥ पुःखमे दाधो हो मूळ मलि ॥ मा०॥ ५ ॥ लोक सुणीने हो दोमी था व्या ॥ मा० ॥ शुं थयुं नृपने हो श्म कहेताव्या । मा०॥ तेहवा मांहे हो कनका त्राठी ॥ मा०॥गोख मारगथी हो कूदी नाठी ॥ मा० ॥६॥हुं पण पूंजें हो जई ऊंपावी ॥ मा० ॥ कनका पासें हो तत्क्षण श्रावी ॥ मा० ॥ शूने मंदिर हो खूणे पेठां। मा०॥ सुणियें वातो हो जपनी बेगं ॥ मा० ॥७॥ चेतन
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