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तंबोल, न गमे वात टकोंन ॥ ० ॥ अन्न उदक म न नवि रमे ॥ ५ ॥ दत्री परजापाल, मदनवेग म बराल ॥ ० ॥ वीराधि वीर हतो खरो ॥ मोह बा य लागां अशेष, पड्यो गिडंदा पेच ॥ श्रा० ॥ का मिनीयें कस्यो जाजरो ॥ ६ ॥ नृप थयो मूरबा अचे त, जापीयें लाग्यो केत ॥ ० ॥ सघना सचिवने तेडीया || पहेरी नव नवा वेश, धव धव धाइ अ शेष ॥ या० ॥ आया मंत्री न जेडिया ॥ ७ ॥ जा एया जोषी विशेष, पट्टा जे खाता हमेश ॥ श्रा० ॥ तेडया ते वैद राजने ॥ दशो दिशें दोडया सर्व, जाल प्रवीण ते सर्व ॥ ० ॥ याव्या तेडी लवाजने ॥ ॥ ८ ॥ नरडा नूवा जेह, कारण काढे तेह ॥ श्रा० ॥ खाया ते शीश धुणावता | जडी बुट्टीना जाए, गा ash करता वखाण ॥ या० ॥ खाया ते याप वखा यता ॥ ए ॥ वीराला जे कहाय, हनुमंत हाक ब जाय ॥ ० ॥ याया ते शक्ति उपासनी ॥ जगत वेरागी धाय, लांब टीलां बनाय ॥ था० ॥ याया ते दंत नवासनी ॥ १० ॥ इणि पेरें मलिया लोक, उद रने कारण फोक ॥ श्रा० ॥ चिकित्सा करवा नृप त पी ॥ निज निज ते कला सर्व, करवा मांमी गर्व
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