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(२७) यो॥ तेहवे महीनो नावनृप गुरु चढी, मोह नृप सैन्यने दर ढायो॥मो० ॥१५॥ सहज नालें करी झान गोला जरी, गुप्तदारू तपतें तमाडी ॥ आकना तूल ज्यु मोहना सैन्यने, नाव नृप महीनो दे नमा डी॥मो॥१६॥ सत्य गुण हाथीयें अष्टमद हाथीया, पातिया ज्ञानअंकूश रें॥दंन गढ तोडियो उरित किंग मोडियो, फोडीयो मोहमद कुंन दूरें ॥ मो० ॥ १७ ॥ बार जे व्रत उमराव साथे चढया,सगवन संवर सुनट बूटा ॥ उरित उमराव जे अष्टदश आकरा, बाकरी बां धता तेह खूटा ॥ मो० ॥ १७॥ राग ने शेष दो पुत्र मोहरायना, काम मंत्री सबल जगत रुंधी ॥ ध्यान कबाणथी विरति शर सांधीयां, वींधीयां तीन ते पुष्ट बुद्धी ॥मो०॥ १॥ ढाल खीमा तणी खडग ले तप तणी, मडीये मूलथी मोह बेद्यो ॥ बातम इिंगथी शव्य काढी परु, अनुनव रंगमें महि नेद्यो ॥ मो० ॥ ॥२०॥काल अनादि जे. दंम चोवीशमें, पीड़तो.जी वने मोह सिसी ॥ तेहने जीती मदमस्त मची थयो, नाव नृप शरणथी जीत कीधी। मो० ॥१॥शि परें धीवरु सबल परिवारथी, गुरु कने आयो कर
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