________________
(२७६) मोह निज सैन्य मेली ॥ पांच मिथ्यात नीशा शब्द करी, मही नृप ऊपरें चढत वेली ॥ मो०॥ ॥ अष्ट मद हाथिया सुकत घन घातीया, पातीया मान ज ग जंतु केरा ॥ एहवा हस्ती मदमस्त जकारिया, नावनृप सेनमें करत खेरा ॥ मो० ॥ ए ॥ साथें नमराव ले अष्ठ दश अघ तणा, नही मणा कां त्रिनुवन्न हरता ॥ फोज नव नोहकषायनी महाबली, साबली मोहनी जीत करता ॥ १० ॥ मो० ॥ राग ने देष दो पुत्र ते मोहना, दोनना करत संसारमाहे ॥ काम मंत्री प्रबल सबल दल मेलीयो, हेलीयो जि 0 मनुराज प्राहें ॥ मो० ॥ ११ ॥ पांच पचवी शनी नालि किरिया करी, शोल कषायना कीध गोला ॥ दंन दारू जरी क्रोध अगनें करी, नाव नृप सैन्यमें करत होला ।मो॥१२॥ इणि परेंमोह नृप सैन्य बेलु करी, चालीयो महीयुं युद्ध करवा ॥ यामुही सामुही फोज दोये मली,मनसरें फोज दो मंमि लडवा॥मो॥ १३॥ मोहनृप नावनृप दोय पोरस चढया, आखड्या युझमें पूर बे॥ लद चोराशि जे जोनि चोगानमें,युद करतां गयो काल के ॥ मो० ॥ १४ ॥ तो पण मो हनुं जोर वाध्यु घणुं, नाव नृप सैन्यनो अंत आ
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org