SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२५) जीयां, गाजीयां सूत्र नीसाण गडीयां ॥ पहेरीयां शीलसन्नाह ते हरिबलें मनोबलें समकित अश्व चढिया मो॥१॥ कुहकी करुणाल सुरसाल समकित तणी, नेद विज्ञान रणतूर महोटा ॥ आतमा इिंगमें शब्द ए प्रगटीया, मोह नृप सैननां चरण छूटा ॥ मो० ॥ ॥ ५ ॥ गज घटा गुण एकविश ते सज कस्या, तोड वा उर्ग जे दंन केरो ॥ सहज नालें करी ज्ञान गो ला जरी, चालियो मोह परें मही सेरो ॥ मो॥३॥ बार जे व्रत्त उमराव साथें लीया, सज किया संव र सुजट साचा ॥ राग ने देष दोय चोर जगतना, तेहने दवा नहीथ काचा ॥मो०॥४॥ फोज घj नियमनी, सोज घणुं दीपती, जीपती मोहनी सैन कोडी ॥ नाव नृप सैनझुं मही चढयो रंग\, जीपवा मोह नृप सैन्य दोडी ॥ मो० ॥ ५ ॥ ज्ञानने दर्शन चरण तीने करी, अखुट नंमार ग्रह्यो मन शु॥ दादनी चूकवी आपवा जीवने, अनुनव रयण लश् सब ल बुझे।मो॥६॥एहवे मोहने आवीचुगली करी,आश्र व पंच अति उष्ट बुद्धी॥ जाग रे जाग तुं मोह उता वलो, सबल आयो तुम परें मही बुद्धी ॥ मो० ॥ ॥ ७ ॥ मोह तव कोपियो थन रण रोपियो, उपियो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy