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________________ ( २४७ ) पूरें जे कीधो ॥ शा धरणो पोरवाड वखाएयो, चड मु ख जइ जुन सीधो ॥ २८ ॥ ज० ॥ शोलमो उद्धार शेत्रुंजा उपरें, त्रिजगमें परसिद्धो ॥ मानवनव लहि श्रावक कुलमें, शा करमें जस लीधो ॥ २५ ॥ न ॥ याजने समयें एहवा प्राणी, जे हुआ रतन सरी खा ॥ तो चुं तदा ते कालनुं कहेतुं, शी तस करवी प रीखा ॥ ३० ॥ ज० ॥ ए दृष्टांत सुणीने नवियां, मानजो सघनुं सानुं ॥ धर्मी जनना जे गुण नां ख्या, ते मत जाणजो काचुं ॥ ३१ ॥ ज० ॥ ए अधि कार सुणी जे सर्वहे, ते लहे मंगलमाल ॥ चोथा उ ल्लासनी ढाल पन्नरमी, लब्धें ए नांखी रसाल ॥ ३२ ॥ ॥ दोहा ॥ " ॥ इम करणी करतां थकां वोल्यां सहसचन वर्ष ॥ एटले मुनिचंद केवली, पान धारया उत्कर्ष ॥ १ ॥ वाजां नाकी वाजीयां, मलिया चोरात इंड् ॥ नंद क मल रचना करी, थाप्या ज्ञानदीपंद ॥ २॥ गुरुनी व धामणी मालीयें, खावी नृपने दीध ॥ सन्मानें नृप मा लीने, ग्राम पसायो कीध ॥ ३ ॥ जिम तृषातुर प्रा एलीया, धाइ सरोवर जाय ॥ तिम नृप निज परिवा रशुं प्रणम्या निज गुरु पाय ॥ ४ ॥ चातुक जन श्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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