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________________ (१३०) जोगवे मजीराय दो ॥ रहे जीनो रसतानमें ॥ पुग॥ वीशाला पुरताय हो ॥ १३ ॥सु० ॥ शोल कलामें चंमा ॥ पु० ॥ सोहे ज्यु कजास हो ॥ तिमहरिबल शोल जनपदें ॥ पु०॥ सोहे तेजप्रकाश हो ॥ २४ ॥ सु० ॥ ए गुण जीवदया तणो ॥ पु०॥ फलिया मनोरथ सिम हो । लब्धे चोथा उनासनी ॥ पु॥ तेरमी कही परसिद हो ॥ २५ ॥ सु० ॥ इति ॥ ॥दोहा॥... ॥ पंच विषय सुख विलसतां, वीता केता दिन्न । वसंतसिरी पटनारीयें, जन्म्यो पुत्र रतन्न ॥ १ ॥ श्री बल नामें सिंह ज्युं, प्रगट्यो माहाबलवंत ॥ हरिबल केरो पुत्रडो, सकलकला जीपंत ॥ २ ॥ कुसुमसिरी जे संकनी, तिणे पण जन्म्यो पुत्र ॥ मात पिताने सुख दिये, चलवे घरनां सूत्र ॥ ३॥ सुबलनामें पुत्र जे, प्रगट्यो ज्यु रवितेज ॥ मातपिता हरखे घj, देखी दो सुत हेज ॥४॥रामने लखमण जोड ज्यु,सो हे त्युं दो बात ॥ दाने माने आगला, पुहवीमां करें ख्यात ॥ ५॥ जोड मली दो चातनी, श्रीबल सूबल नाम ॥ राज काजमें तत्परा, राखे मन अनिराम ॥ ॥ ६ ॥ बीजी राणी जे अने, षोडशे जे गुन मन्न। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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