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(२३) ढी न शके प्राण ॥ ६ ॥ इणिपरें लीला जोगवे, पूरव पुण्य पसाय ॥ चावो थयो चिटुं खूटमें, महोटों ह रिबल राय ॥७॥ हवे ससरो हरखें करी, वसंतसेन नूपाल ॥ जामाताने वीनवे, कर जोडी नजमाल ॥ ॥ ॥ यो अनुमति दीदा तणी, पाणी वर्ष अपा र॥ शिव रमणी वरवा अमें, लेगुं संजम नार ॥॥ एम कही या लही, सासू ससरो दोय ॥ पंच महाव्रत नच्चयां, सुविहित सद्गुरु जोय ॥१०॥च ढते परिणामें करी, पाले पंचाचार ॥ उग्र तपस्यानां धणी, थयां सूधां अणगार ॥११॥ रूपक श्रेणी चढ तां थकां, तेरमुं लघु गुणगाण ॥ शुक्त ध्यानना जो गथी, पाम्यां केवल नाण ॥१२॥ चोशठ इंशदिक मली, अंबुज नंद रचेण ॥ नाविकने प्रतिबोधतां, लहे बिजबोध विशेण ॥ १३॥ केवल कमला नोग वी, पाली पूरण आय ॥ कर्म कुटिल दूरे करी, पहो तां शिवपुर गय ॥ १४ ॥ धन धन वसंतसेनने, धन वसंतपट नार ॥ दंपति दो मुगतें गया, चढियां मुक्ति मकार ॥१५॥
॥ ढाल तेरमी॥ ॥ नथरो नगीनो महारो,हाररो हीरो महारो, नण
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