________________
(२१) साबेला सबल ते सज करयां, नगरीजन कुमर सुजा ण ॥१०॥स० ॥ श्म आमंबरशुं नरपति, सामश्यु सबल सजेय ॥ स०॥ चाल्यो कुमरी वरने तेडवा, पुरजन हर्ष धरेय ॥११॥ स॥ नवयोवन नारी सोहामणी, मली गावे मधुरां गीत ॥ स॥ रंना न वंशीना मद गालती, गावे कोकिल स्वरनी रीत ॥ ॥१५॥ स० ॥ दलवादल देखी पुत्री, नृप पुरज न हरख जरात ॥स ॥ जिम नविकने समकित मले, तिम मलिया ससरो जमात ॥१३॥ स ॥ वर कन्या आदि सदु मल्यां, नृप राणी हर्ष जराय ॥स ॥ तिण वेला हर्ष जे उपनो, ते तो पुस्तक ल खियो न जाय ॥१४॥स ॥ कुमरी ने जनकी जनक तणो, वर्ष बारनो नांग्यो वियोग ॥स० ॥ आ ते साचुं के सुहणुं थयु, कुमरी वरनो संयोग ॥ ॥१५॥स॥धन दिवस धन वेला घडी, मुफ पु त्रीय जे लघु मान ॥ स ॥ एम मावित्र हरखे म नमें, जिम कुमक लहे सुनिधान ॥ १६ ॥ स ॥ ह रिबल ए जोश्नी जातिमा, प्रगट्यो वडो पुरस्य निधान ॥ स ॥ मुफ पुत्रीनी संगतें, थयो उंच ए जग सुल सान ॥ १७ ॥ स ॥ हवे हरिबलने ससरो कहे, न
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org