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(१२६) ताण्या तंबू जडाव ॥ रवि शशी सरखा निरखी हरख्या मोहता रे॥ मो० ॥ देखी तंबू बणाव ॥ १६॥ का॥ गज रथ घोडा सुनट सजोडा साबता रे ॥मो॥ शण गाथा नाश्व रंग ॥ वहेल सुखासण जाणे सुरासण फावतां रे ॥मो॥ श्म सजी सेना चंग ॥१७॥का॥ पंचरंगी नेजा नजना डेजा जोवता रे ॥ मो० ॥ प्या नेजा उत्तंग ॥ पवनें फरके सुरपति घमके दो नता रे॥ मो० ॥ देखी ऊंमा अमंग ॥१७॥का॥ गवरीजाया मेंदी रंगाया दीपता रे ॥ मो० ॥ कन कमें जडीया शिंगाल ॥ घूघरमाला घमके रढाला जीपता रे ॥ मो० ॥ सुरधोरी सुकमाल ॥ १५॥ ॥ का० ॥ इणिपरें सेन्या मानवसेना राखता रे ॥ ॥ मोमवाये साजसंना नद्दाम ॥हरिबल राजा चढतरिवाजां वाजते रे ॥ मो॥ चाव्या जनमनी नूम ॥ ५० ॥ का० ॥ ससरानो मंत्री पुण्यपवित्री नेयता रे ॥ मो॥ ले चाल्यो दंपति सार ।। शीघ्र प्र याणे था निशाणे देयता रे॥ मो॥ श्राव्या ज्यां परणी नार ॥ १ ॥ का० ॥ ते वन देखी दंपति ह रखी दीधला रे ॥ मो॥ मेरा ते वनमांहि ॥ किधा उतारा जीमण सारां कीधलां रे ॥ मो० ॥ चरंगी
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